गुमनाम औरत की डायरी के कुछ और नोट्स
कविता कृष्णपल्लवी
भाग सात
( अंतिम भाग )
सरलता एक जटिल चीज़ होती है | सरल होना बहुत कठिन होता है |
***
सच कभी पूरीतरह पकड़ में नहीं आता | उसका लगातार पीछा करना पड़ता है |
***
ज्यादा से ज्यादा, हम एक सार्थक जीवन जीने की कोशिश कर सकते हैं | महत्वपूर्ण होने की महत्वाकांक्षा हमें नक्काल बना देती है, या कुंठित कर देती है |
***
जब दूसरों की खुशियाँ हमारे लिए महत्वपूर्ण हो जाएँ तो कठिन समय में भी जीना आसान हो जाता है |
***
ज्ञानी और अनुभवी व्यक्ति ने शिक्षा दी,”हमें सहृदयता, उदारता, उदात्तता, विचारशीलता और उन्नत सौन्दर्यबोध वाला इंसान होना चाहिए |” सभी तुरत ऐसा दीखने की कोशिश करने लगे और माहौल और अधिक कुरूपता से भर गया |
***
ठहरे हुए, उदास दिनों में युवा शरीरों में बूढ़ी आत्माएँ निवास करती हैं |
***
आप प्यार जीत नहीं सकते | सहज ही वह आपको मिल सकता है, या आप उसका आविष्कार कर सकते हैं |
***
लोग इनदिनों लोगों को चीज़ों की तरह प्यार करते हैं |
***
लोग इनदिनों प्यार को जीत की ट्रॉफी की तरह शोकेस में सजाते हैं |
***
लोग चिंतित रहते हैं कि बुढ़ापा आने से पहले किसी भी तरह से उन्हें प्रेम हो जाये और सेहत बनाने की तमाम कोशिशों के बावजूद, वक़्त से पहले ही वे बूढ़े हो जाते हैं |
***
अधिकांश जनवादी चेतना के पुरुष भी स्त्री से ‘ना' सुनने के आदी नहीं होते | इससे उनका पुरुष-दर्प लहूलुहान हो जाता है |
***
खुद से प्यार करना और आत्ममुग्ध होना --- ये दोनों एकदम अलग चीज़ें होती हैं |
(23अप्रैल, 2018)
गुमनाम औरत की डायरी भाग छः नीचे लिंक पर पढ़िए
भाग छः
http://bizooka2009.blogspot.com/2018/05/blog-post_30.html
कविता कृष्णपल्लवी
भाग सात
( अंतिम भाग )
सरलता एक जटिल चीज़ होती है | सरल होना बहुत कठिन होता है |
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सच कभी पूरीतरह पकड़ में नहीं आता | उसका लगातार पीछा करना पड़ता है |
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ज्यादा से ज्यादा, हम एक सार्थक जीवन जीने की कोशिश कर सकते हैं | महत्वपूर्ण होने की महत्वाकांक्षा हमें नक्काल बना देती है, या कुंठित कर देती है |
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कविता कृष्णपल्लवी |
जब दूसरों की खुशियाँ हमारे लिए महत्वपूर्ण हो जाएँ तो कठिन समय में भी जीना आसान हो जाता है |
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ज्ञानी और अनुभवी व्यक्ति ने शिक्षा दी,”हमें सहृदयता, उदारता, उदात्तता, विचारशीलता और उन्नत सौन्दर्यबोध वाला इंसान होना चाहिए |” सभी तुरत ऐसा दीखने की कोशिश करने लगे और माहौल और अधिक कुरूपता से भर गया |
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ठहरे हुए, उदास दिनों में युवा शरीरों में बूढ़ी आत्माएँ निवास करती हैं |
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आप प्यार जीत नहीं सकते | सहज ही वह आपको मिल सकता है, या आप उसका आविष्कार कर सकते हैं |
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लोग इनदिनों लोगों को चीज़ों की तरह प्यार करते हैं |
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लोग इनदिनों प्यार को जीत की ट्रॉफी की तरह शोकेस में सजाते हैं |
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लोग चिंतित रहते हैं कि बुढ़ापा आने से पहले किसी भी तरह से उन्हें प्रेम हो जाये और सेहत बनाने की तमाम कोशिशों के बावजूद, वक़्त से पहले ही वे बूढ़े हो जाते हैं |
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अधिकांश जनवादी चेतना के पुरुष भी स्त्री से ‘ना' सुनने के आदी नहीं होते | इससे उनका पुरुष-दर्प लहूलुहान हो जाता है |
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खुद से प्यार करना और आत्ममुग्ध होना --- ये दोनों एकदम अलग चीज़ें होती हैं |
(23अप्रैल, 2018)
गुमनाम औरत की डायरी भाग छः नीचे लिंक पर पढ़िए
भाग छः
http://bizooka2009.blogspot.com/2018/05/blog-post_30.html
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