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सत्यनारायण पटेल हमारे समय के चर्चित कथाकार हैं जो गहरी नज़र से युगीन विडंबनाओं की पड़ताल करते हुए पाठक से समय में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। प्रेमचंद-रेणु की परंपरा के सुयोग्य उत्तराधिकारी के रूप में वे ग्रामांचल के दुख-दर्द, सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रग-रेशे को भलीभांति पहचानते हैं। भूमंडलीकरण की लहर पर सवार समय ने मूल्यों और प्राथमिकताओं में भरपूर परिवर्तन करते हुए व्यक्ति को जिस अनुपात में स्वार्थांध और असंवेदनशील बनाया है, उसी अनुपात में सत्यनारायण पटेल कथा-ज़मीन पर अधिक से अधिक जुझारु और संघर्षशील होते गए हैं। कहने को 'गांव भीतर गांव' उनका पहला उपन्यास है, लेकिन दलित महिला झब्बू के जरिए जिस गंभीरता और निरासक्त आवेग के साथ उन्होंने व्यक्ति और समाज के पतन और उत्थान की क्रमिक कथा कही है, वह एक साथ राजनीति और व्यवस्था के विघटनशील चरित्र को कठघरे में खींच लाते हैं। : रोहिणी अग्रवाल

30 मई, 2018

गुमनाम औरत की डायरी में प्यार के बारे में यहाँ-वहाँ बिखरे हुए कुछ विचार


कविता कृष्णापल्लवी

भाग छः


अतिनिश्चयवादी शुष्क तार्किकता जब ज़िन्दगी को नीरस और दमघोंटू बना देती है तो “अतार्किक" भावावेगी रोमांस को आवाज़ लगाने को जी चाहता है |

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प्यार के कई आख्यान काव्यात्मक ढंग से शुरू होकर सुखी गार्हस्थ्य की भेंट चढ़ जाते हैं और महान बनने से रह जाते हैं |

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चित्र:गूगल से


प्यार में गणित कहीं नहीं आता सिवाय इसके कि असंतुष्ट प्यार की उम्र बहुत लम्बी होती है |

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ह्रदय के भीतर प्यार और भाईचारे का एक जनवादी गणतंत्र बसाये हुए, इस आत्मघाती समय के खिलाफ जीती हुई मैं बस अधूरा छोड़ देती हूँ प्यार का हर आख्यान | कई बार राह चलते दिल लगा बैठती हूँ किसी हलके-फुलके, खिलंदड़े या काहिल सहृदय से, फिर सोचती हूँ, यह भी क्या कर रही हूँ गदहपैंतीसी |

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प्यार में पारदर्शिता और रहस्य का द्वंद्व होना चाहिए | प्यार में जानने को, समझने को हरदम कुछ बचा रहना चाहिए | प्यार में कोई मंजिल नहीं, बस पड़ाव होने चाहिए और सफ़र लगातार ज़ारी रहना चाहिए | प्यार को एक अविराम खोज होना चाहिए | प्यार का बार-बार आविष्कार होना चाहिए | प्यार में निरंतरता उसे बासी बनाती है | उसमें निरंतरता और परिवर्तन का द्वंद्व होना चाहिए | प्यार में बौद्धिक आकर्षण और यौनाकर्षण के संश्लेषण से जन्मी सौन्दर्यानुभूति होनी चाहिए |

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प्यार में अक्सर हम नहीं जानते कि हम चाहते क्या हैं ! प्यार में हम लगातार बेकली से यह जानने की कोशिश करते हैं कि आख़िरकार हम प्यार में चाहते क्या हैं !
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चित्र: गूगल से

उन्नत, उदात्त, कलात्मक-सौन्दर्यात्मक प्यार एक त्रासदी होता है, एक महाकाव्यात्मक त्रासदी | प्यार का दर्द से रिश्ता पुरातन है, और चिर-नवीन भी |

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यहाँ पुरुष युद्ध में विजय की भावना से प्यार करना चाहते हैं | स्त्रियाँ पराजय के बाद, सहर्ष आत्मविह्वल आत्मसमर्पण की प्रतीक्षा करती हैं | यह मेरी दुनिया नहीं है | इससे अलग एक दुनिया बनाने की कोशिश में ताउम्र लगे रहना भी प्यार में जीने जैसा ही होता है |

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जिनमें अकेले जीने की कुव्वत होती है, उन्हीमें शिद्दत से प्यार करने की भी कुव्वत होती है |

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प्यार में स्वतंत्रता अपने उच्चतम रूप में होती है | जो प्यार स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करे, वह एक भ्रम है, छलावा है | चीज़ों को हम जितना समझते जाते हैं, उतना ही मुक्ति की दिशा में आगे बढ़ते जाते हैं | यह बात प्यार के बारे में भी लागू होती है |

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बुर्जुआ समाज में लोग एक-दूसरे से, प्रकृति से और मानवीय गुणों से कटे हुए होते हैं | वे अलगाव-ग्रस्त होते हैं, और इस पीड़ा से मुक्ति के लिए रोमैंटिक, ऐन्द्रिक प्यार या पार्टनरशिप या विवाह को अपना शरण्य बनाते हैं | यह संकट से मुक्ति और सुविधा के लिए किया गया एक समझौता होता है, जिसे प्यार समझ लिया जाता है | कमजोर नागरिकों और ‘सद्गृहस्थों’ के लिए ही नहीं, महत्वाकांक्षी कैरियरवादियों के लिए भी, यह मिथ्याभास जीने का सहारा होता है |

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जब सड़कों पर हत्या, आतंक, विचारहीनता और बर्बरता का घटाटोप है, जब स्वप्न, कल्पना और उम्मीदें लुप्तप्राय लग रही हैं, जब हत्यारे लोगों को लगातार बता रहे हैं कि उनके पास कोई और विकल्प नहीं है; तो मैं अक्सर उन लोगों के बारे में सोचती हूँ जो दावे किया करते थे कि वे बहुत गहराई से, बहुत दार्शनिकता और गहन सौन्दर्यानुभूति के साथ प्यार करते हैं | इतिहास का अँधेरा प्यार का भी इम्तहान लेता है |

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ऐसे अंधकारमय समय से जूझते हुए कई बार लगता है कि प्यार दिल से अधिक थकी हुई हड्डियों की ज़रूरत होता है |
(15 अप्रैल,2018)
००


कविता कृष्णपल्लवी


गुमनाम औरत की डायरी का भाग  पांच नीचे लिंक पर पढ़िए

भाग पांच

http://bizooka2009.blogspot.com/2018/05/blog-post_83.html

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