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सत्यनारायण पटेल हमारे समय के चर्चित कथाकार हैं जो गहरी नज़र से युगीन विडंबनाओं की पड़ताल करते हुए पाठक से समय में हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। प्रेमचंद-रेणु की परंपरा के सुयोग्य उत्तराधिकारी के रूप में वे ग्रामांचल के दुख-दर्द, सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रग-रेशे को भलीभांति पहचानते हैं। भूमंडलीकरण की लहर पर सवार समय ने मूल्यों और प्राथमिकताओं में भरपूर परिवर्तन करते हुए व्यक्ति को जिस अनुपात में स्वार्थांध और असंवेदनशील बनाया है, उसी अनुपात में सत्यनारायण पटेल कथा-ज़मीन पर अधिक से अधिक जुझारु और संघर्षशील होते गए हैं। कहने को 'गांव भीतर गांव' उनका पहला उपन्यास है, लेकिन दलित महिला झब्बू के जरिए जिस गंभीरता और निरासक्त आवेग के साथ उन्होंने व्यक्ति और समाज के पतन और उत्थान की क्रमिक कथा कही है, वह एक साथ राजनीति और व्यवस्था के विघटनशील चरित्र को कठघरे में खींच लाते हैं। : रोहिणी अग्रवाल

16 अक्टूबर, 2017


कश्मीर में कत्लेआम : हिंदुस्तान को शर्म आनी चाहिए


आंद्रे वल्चेक
8 फरवरी 2015

पंजाबी अनुवादक :-बूटा सिंह

हिंदी अनुवादक :-अमोल आजाद
नोट :- हिंदी अनुवादक भी अपना कुछ समय कश्मीर में बीता चुके है  और इनमे से कुछ नजारे अपनी आँखों से देख चुके है |

कश्मीर स्वागत करता है| पहाडो के साथ लगे पहाड़, झील के किनारे लगे चीनार के उदास से पेड़, पर फिर भी सूरज के साथ-साथ सिर उठाये प्रतीत हो रहे है, एक रंग बिरंगी चित्रकारी की तरह लगते हुए|
                         
आपका स्वागत करती है कब्ज़ा करने वाली ताकते , हिन्दुसतान की सात लाख जबरदस्त सुरक्षा ताकतों की फ़ौज| कांटेदार तारे, फौजी दस्ते , और “सुरक्षा दस्तो का चलने वाला लगातार तलाशी अभियान | यहाँ की दहशत और वाहियात हरकतों को धरती पर कही और कल्पना भी नही की जा सकती|
स्वागत होता है,अमेरिका ,इसराइल और दुनिया की सभी फ़ौजी ताकतो  का जो यहाँ युध करना सीख रहे है| काश्मीर!  अभी भी खूबसूरत पर डरा हुआ, महानता से  लहू लुहान और बुरी तरह टूट चुका.........अभी भी डॅटा हुआ, टक्कर ले रहा है.......| कश्मीर !!!!!! फिर भी कम से कम दिल से आज़ाद है |
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चार बच्चे श्रीनगर में बड़ी मसजिद के नज़दीक खड़े है | तीखे, तेज तर्रार,और लड़ने के लिए तैयार, और जरूरत पड़ने पर भाग जाने ओर पीछे हटने को तैयार | यह सब नज़ारे तो आम सी बात है | " वो हमरी माताओ ओर बहनो के साथ ज़बरदस्ती कर रहे है”, एक लड़का चीक कर बोलता है| वो बच्चे  आँसू निकालने वाले गोले दिखाते है जो आम तौर पर भीड़ को भगाने के लिए ह्वा मे धमाका किया जाता है| पर कश्मीर में सीधा भीड़ पे चलाया जाता है जिससे उनके सिर लहू लुहान हो जाए या मारे जाए|
वहाँ पर कैमरे का प्रयोग किया जाता है ताकि बाद में पता लगाया जा सके की भीड़ में कौन शामिल है उसे पकड़ा जा सके और फिर गायब कर दिया जाए या उसे यातना घर में ले जा के उसे मरने की हालत तक पीटा जा सके| श्रीनगर के इस महोल्ले के लड़को को आम ही पकड़ लिया जाता है और उनमें से एक ना एक ने जरूर उस यातना को सहा होगा|
मैं उनके हाथो में पकड़ी हुई गोलियो की तस्वीरे ले रहा हू पर कैमरे को उनकी नज़रो से दूर रख कर , पर बच्चो को तो बिना डरके फोटो खिचवाने की चाह है|


ये एक मजाक ही है की आज इनडिपेंडेन्स का दिन है| और फिर वो बच्चे कहते है की "अब ह्म उस जगह पर जाएँगे उनसे दो दो हाथ करने, ह्मारे साथ चलना"
वो अरबी शब्द बोलते है, अपनी उंगलिया आसमान की तरफ़ कर के| चहरे पर मुस्कान ला कर, वों बहादुर  और शहीद होने के लिए हमेशा त्यार रहने का दिखावा करते है| पर  मै जानता हूँ की उनके अंदर एक डर की भावना छुपि हुई है|
वो अच्छे बच्चे है मासूम ओर संकटग्रस्त|
में उनके साथ वायदा करता हूँ  की में वापिस लौट के आयुंगा..........
कुछ दिन बाद मैं नयी दिल्ली अपने पुराने दोस्त के घर उसके साथ कश्मीर पर चर्चा करता हूँ  |
हम दोनो  सहमत है की कुल मिला कर ,पूर्व ओर पश्चिम या दक्षीण के लोगो को वाहा की दशा के बारे में कुछ ज़्यादा नही पता| हिन्दुस्तान और वाहाँ की मीडीया इस अत्याचार को ,इस ज़ुल्म को दबाने का काम कर रही है|
वजह यह है की ब्रिक्स देशो के साथ धोखा करके हिन्दुस्तानी फ़ौज संधियों की बात करते है दूसरी तरफ व्यापारिक वर्ग खुली व्यपारक मंडियों की बात करके पश्चिम देशो के काफी नजदीक जा रहे है | अब भारत एक खास रुतबे के उपर घमंड कर सकता है, इंडोनेशिया की तरह |
श्री मान काक (मेरे दोस्त डेल्ही से) यह भी बताते है आज कल दुखो की आलसी मंडी में मुकाबला बहुत ज्यादा सख्त हो गया है |
मेरे द्वारा कश्मीर में हिंदुस्तान की फौजी मुहीम, और इसके साथ हिंदुस्तान की पुलिस और कश्मीर में लगाये फौजी अफसरों को युद्ध तकनीक सिखाने के लिए अमेरिका और इसराइल के शामिल होने की बात का जिकर करने पर काक कहते है :-
 जहां तक दहशत का सवाल है, भारत की फ़ौज अमेरिका और इसराइल  को बहुत कुछ सिखा सकता है | सयोंगवश काक की दोस्त लेखिका अरुन्ध्नती रॉय  ने मार्च 2013 में “डेमोक्रेसी”  के उपर चर्चा करते हुए खुलासा किया था: ” आज कश्मीर दुनिया की सबसे ज्यादा फौजी तैनात वाला शेत्र है| हिंदुस्तानी  फ़ौज ने यहाँ सात लाख से उपर सुरक्षा ताकते लगा दी गयी है और 1990 तक लोगो का संघर्ष  हथियारबंद हो गया , तब से अब तक सत्तर हजार लोग मारे जा चुके है , एक लाख से ऊपर लोगो को शारीरिक और मानसिक यातनाये दी गयी, आठ हजार से उपर तक लोगो को लापता कर दिया गया| मेरे कहने का भाव , हम चिल्ली या फिलिस्तीन की तो बहुत चर्चा करते है , पर यहाँ पर मरने या टार्चर होने वाले लोगो की तादाद ज्यादा है, जिसकी चर्चा करते हुए भी हम घबरा जाते है”|
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खुद कश्मीर में मैं “ जम्मू एंड कश्मीर कुलिशीन ऑफ़ सिविल सोसाइटी” के साथ मिलके काम कर रहा हू- इस संस्था के मुखिया परवेज इमरोज और ह्यूमन राईट के विचारक परवेज माटा के साथ मिलके | दोनों मेरे अछे दोस्त बन चुके है |
दरअसल जे.के.सी.सी.एस. का मानना है की 1990 से ले कर अभी तक सत्तर हजार लोग मारे जा चुके है ज्यादातर आम लोगो की | जो कुछ कश्मीर में हो रहा है उसे ये संस्था सरेआम नस्लीय हत्याकांड करार दे रही है | श्रीमान परवेज इमरोज ने इस लेख के लिए लिखा है:-
“1989 से ही फ़ौज जंग की तरह आम लोगो पर जुल्म करती आ रही है क्यूंकि फ़ौज को कानून की खुली छुटी दी है और शायद ही किसे फौजी को कोई हत्याकांड के लिये कभी सजा मिली हो| जम्मू कश्मीर का फौजिकरण ने हर पहलु पर असर डाला है , मीडिया और सियासी समाज भी इस कत्लेयाम को रास्ता दिखा रहा है जिस के बारे में इनका ख्याल है की फ़ौज सरहिद के दुसरे पार के देहाशात्गार्दो से लड़ रही है | हिंदुस्तान की मीडिया लापता हुए लोगो की गिनती , कब्रों की गिनती , मारे गये लोगो की गिनती, यातनाए सेंटर में कैद किये लोगो की गिनती को नजरंदाज करती आ रही है|”

जम्मू कश्मीर की आज़ादी के संघर्ष को कुचलने के लिए, हिंदुस्तान सरकार एक प्लान के साथ दमन चक्कर चलाये हुए है हथियार बंद संघर्ष को कुचलने के लिए और अवाम की आवाज को दबाने के लिए हिंन्दुस्तान सरकार ने सात लाख से उपर फौजियों की तैनाती की हुई है| ये वो अवाम  है जो अपना निर्णय खुद लेना चाहती है की वो कहा रहना चाहते है जिसका वायदा हिंद्स्तान सरकार ने 1948 और 1949 के बीच संयुक्त राष्ट्र में किया था | हिंदुस्तान सरकार की तरफ से किया जा रहा जुल्म एक नियति का हिस्सा है |
कश्मीर में, मै जहाँ भी गया ,जहां भी सफ़र किया, हर तरफ कब्जे की लगातार और जबरदस्त निशानिया नजर आ रही थी, तकरीबन हर जगह ही फ़ौज, पुलिस और नीम फौजी ताकतों की अजीब मौजुदगी से लेकर अंतहीन कब्रों तक | हर बड़ी सड़क के साथ साथ फ़ौज की बैरक की लम्बी लम्बी कतार थी | सभी बड़ी और छोटी सड़क पर फौजियों के ट्रक आवाज करते हुए दौड़ रहे थे| जगह जगह नाके और तलाशी केंदर बने हुए थे |
बिलकुल सीधी और वहशी ताकत ही कश्मीर में खून खराबा और तबाही नही कर रही| परवेज माटा खुलासा करता है की ये बेदर्द हिन्दुस्तानी ताकते लोगो के बीच घुसबैठ करने में कामयाबी प्राप्त कर चुके है | जासूस और मुखबिर लोगो में अपनी पेठ बना रहे है | विरोध करने वालो को आंतकवादी करार दे दिया गया है | इस तरह संगर्षशील संगठनों को तोडा जा रहा है, इसी प्रकार लोगो के आपसी भाईचारे को भी बिखेर दिया गया है और ये ही हाल वहाँ के स्थानीय परिवारों का कर दिया गया है|
कश्मीर में शारीरिक और मानसिक यातनाये देने का ढंग आपकी कल्पना से भी बहार है| मैंने पुरे विशव  के युद्ध शेत्रो की पता नही कितनी बार जाँच पड़ताल की है और हर बार बार दहशत से रोंकटे खड़े हो जाते है | पर कश्मीर में जो मुझे पता चला उस चीज ने मेरे भयानक डर को भी मात दे दी है |
आधुनिक इतिहास में ,कश्मीर में हिंदुस्तानी फौजी ताकतों की बेरहमी का मुकाबला सिर्फ 1965 में इंडोनेशिया में ढाए जुल्म या पूर्वी तिमोर में इसके द्वारा  की  गयी जन हत्या, इसी तरह पपुया में जनसंहार या कांगो में या युगांडा की दहिशत ताकतों से किया जा सकता है |
ये बहुत हैरान कर देने वाला व्यंग्य है की इंडोनेशिया और हिंदुस्तान दोनों पश्चिम देशो के ग्राहक है जो उनसे व्यापारिक सामान खरीदते है, दोनों को ही लोकतान्त्रिक ओर सहनशील शब्दों से नवाजा जाता है|
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“हिंदुस्तान अँधा ,धोंस ज़माने वाला दरिंदा है “, श्रीनगर शहर के बाहर के इलाके के पेवेज इमरोज के घर मुझे बताया जाता है| पूरी तरह से रीती रिवाज के मुताबिक बहुत सारे लोग फेह्रिन (एक तरह की पोशाक) के नीचे पुराने जमाने की गर्मी देने वाली कानग्डिया को अपनी छाती के साथ लगा के बेठे है| हम सब चाय पी रहे है| जहा तक इस बैठक का सवाल है, मैंने सिर्फ इस लेख में लिखे जे.के.सी.सी.एस. के दो सदस्यों के नाम ही जनता हू | बाकि के सदस्य अपनी पहचान छिपा कर काम कर रहे है अपने और संगठन की बचाव के लिए | उन सब लोगो ने मुझसे बात करके , हालातो को बयाँ करके और मेरे साथ संपर्क एवं जानकारिया दे कर मेरी बहुत मदद की | वो सभी लोग अपनी पहचान को छिपाने की शर्त पर मुझसे बात करने के चाहवान लग रहे थे, और ये भी दिख रहा था की कैसे वो अपने काम की तरफ वफादार थे |



 जब भी हम फिलिस्तीन के बारे में बात करते है तो हिंदुस्तान बहुत ही भावुक परतीत होता है ,हालाँकि प्रधान मंत्री द्वारा हिंदुस्तान को पश्चिम देशो के नजदीक ले जाने के कारन इस वयवहार में भी तब्दीली आ रही है | अमेरिका और इसराइल दोनों यहां युद्ध तकनीके सीख रहे है आम जनता के उपर हमले करके बड़ा हास्यात्मक और भावनात्मक अभ्यास है| बेशुमार फौजी और पुलिस ऑफिसर अमरीका ,यूरोप और इसराइल में युद्ध तकनीक को सिख रहे है|पुलिस अधिकारी हवाई यात्रा करके दुसरे देशो में ट्रेनिंग प्राप्त कर रहे है| हिन्दुस्तानी फ़ौज, अमेरिकी एवं इस्राइली ताकतों के साथ मिल के युद्ध तकनीक पर काम कर रहे है विशेष तौर पर पाकिस्तान के साथ लगे इलाके लद्दाख में|
“दरअसल लद्दाख इसराली लोगो में बहुत प्यारा है और हर साल २०-३० हजार सैलानी एस इलाके में आते है “|
“इस इलाके में में इस्राइली तोर तरीको को कुछ हद तक अपना लिया गया है , यहा उनकी सोच और नस्ली बेद भाव की नीति को अपनाया जा रहा है |
इस्राइली ताकतो की  नीतिया किसी से छुपी नही है: ये पूरी तरह से सरेआम है| इसराइल की फिलिस्तीन अवाम के खिलाफ हर लड़ाई लिखित में रिकॉर्ड होती है| और लड़ाई का एक ही उदेश्य है अपनी ताकत दिखाना जैसे शेरो के झुण्ड हिरनों के उपर हमला करते है| विदेशो में और खुद इसराइल के लोग इस करवाई की हमेशा से निंदा करते आ रहे है| विशव के अलग अलग देशो के ग्रुप यहाँ तक की पूर्वी यूरोपों यूनियन भी फलिस्तिन की आजादी की मांग कर रहे हैं, कश्मीर का मामला बिलकुल ही अलग तरह का है: हिंदुस्तान के लोगो को कश्मीर के हालातो से बिलकुल ही अलग तरह की तस्वीर पेश की जा रही है| यहाँ के लगभग 80,000 लोगो को पहले ही मार दिया गया है | लाखो के हिसाब से लोगो को यातनाये दी गयी है | पर इन हालातो पर दुसरे मुल्को के साथ साथ हिंदुस्तान के लोगो ने भी चुप्पी साधी हुई है|”
कश्मीर और फिलिस्तीन में चल रहे संघर्ष में काफी समानताए है| नई डेल्ही से मेरे मित्र संजय काके के द्वारा बनाई गयी मशहूर फिल्मो में से एक का नाम है “ जश्न-ऐ-आज़ादी- हम अपनी आज़ादी का जश्न कैसे मनाते है”,ओर ये फिल्म बिलकुल ही विषय के मुताबिक है|
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कुपवाड़ा (कश्मीर का एक गाँव) पहाड़ी के उपर काफी ज्यादा कब्रे नजर आ रही है| जब तक हम वहाँ पहुंचते है तब तक वो इलाका बंद हो चुका होता है| आज हिंदुस्तान द्वारा किये कत्लेआम की २१वी बरसी है | दो दशक से ज्यादा समय हो गया जब कश्मीरी अवाम ने हिंदुस्तानी कब्ज़ा ख़तम करने की आवाज को उठाया था तो सत्ताईस लोगो को बेहरहमी के साथ कतल कर दिया गया था |
“यहाँ काफी सारे लोगो को पकड़ कर लापता कर दिया गया था , या उनको नकली लड़ाई में मार दिया गया था| और ये काफी समय तक चलता रहा , परवेज माटा इस बात का खुलासा करता है | उन दिनों बहुत साडी लाशे हस्पतालो में आती रहती थी जो काफी कटी फटी हालत में होती थी,उनमे से कुछ लाशो की टाँगे नही होती थी  या कुछ की बाजुए कटी होती थी इससे सरल तरीके से अंदाजा  लगाया जा सकता था की इन्हे मारने से पहले टार्चर किया गया था |”
वहाँ एक पेड़ के साथ जंग लगे बॉडी स्ट्रेचेर रखे हुए थे, मुझे बताया गया की ये सारे स्ट्रेचेर लाशो को इन कब्रिस्तानो में लाने के लिए इस्तेमाल होते थे | सुरक्षा ताकते जंगलो से भर भर के लाशे ला कर यहाँ छोड़ जाते थे | इस पूरी पहाड़ी को कब्रिस्तान में बदल दिया गया है वहाँ मुझे एक स्कूल भी दिखाया गया जो की उन कब्रों से घिरा हुआ था जो की पहाड़ी की चोटी पर बना हुआ है | सुरक्षा ताकते सारी लाशो को विदेशी बिना पहचान वाली करार देती है | “वहाँ पर काफी सालो से रहने वाले बिना पहचान वाली लाशे” एक मजाक सा प्रतीत होता है | और ऐसी सात हजार से भी उपर लोगो की कब्रे है|
“एक और अचंबित करने वाला तथ्य की सात लाख की सेना सिर्फ दो या तीन सौ मुजाहिदीन जो सरगरम है उनसे इतने लम्बे समय से निपटने की जंग लड़ रही है|”
पर असल में ये लड़ाई दूर दराज या ऊँची पहाड़ी पर रहने वाले लोगो से निपटने के लिए है जो इन सेनाओ का चारा बनते है | फिर उनकी लाशो को मुजाहिदीन करार दे दिया जाता है, इसके फलस्वरूप जबाज फ़ौज को हिंदुस्तान से सम्मान और अच्छा खासा बजट मिल जाता है साथ ही साथ सेना में रैंक भी बढ़ जाता है|
“लड़ाई” में किसी को भी यातना देना शामिल है, चाहे किसी आदमी पर मुजाहिदीन होने का शक हो या उसका कोई संबंद्ध हो या कोई उनकी बात भी करे|
कुपवाड़ा में यातना देने में किसी भी आदमी जिसके उपर शक है , उसकी टाँगे या हाथो की उंगलिया काट दी जाती है| पाकिस्तान के साथ लगते इस इलाके में बहुत ही घिन्न तरीको से और बहुत ही भयानक यंत्रो से यातनाये दी जाती है | लोगो की छाती को गरम लोहे से दागा जाता है और उनके गुप्तांग पे करंट छोड़ दिया जाता है, पैरों के तलो का मांस फाड़ दिया जाता है | छत से उल्टा लटका कर गुदा में शराब की बोतल घुसा दी जाती है| टांगो को नकारा बनाने के लिए लकड़ी के बड़े बड़े लट्ठे काफी घंटो तक टांगो के उपर रख दिए जाते है| आदमियों के पेरो में कीलें ठोकी जाती है| और जिन लोगो ने अपने शारीर पैर अध चाँद छपवाया होता है उन निशानों को पिंघले लोहे से दाग कर मिटाया जाता है |
अगर कोई औरत इस पेंच में फंस जाती है तो निसन्धे उसके साथ मिल कर बलात्कार किया जाता है |


निश्चित ही ये सब एक स्व: कार्य नही है , साफ़ तौर पर ये सब पहले से ही तय होता है सुरक्षा ताकते जो भी यहाँ कुछ कर रही है ये सब चीजे इन्हे पहले से सिखाई जाती है| वहाँ के राज तंतर ने एक नये तरह का गिरोह खड़ा कर दिया गया है | इसे एस.ओ.जी. (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) कहा जाता है, ये मुख्या तौर पर उन लोगो को मिला कर बनाया गया है जिन लोगो के रिश्तेदार किसी मुठबेड़ में मुजाहिदीनो द्वारा मारे गये है| ये लोग जिस तरह के ढंग अपनाते है की उसकी कल्पना करना भी भयानक है| “जो लोग गायब हो जाते है या जिन बेकसूर लोगो को यातनाये दी जाती है उनकी कोई रिपोर्ट दर्ज नही करने दी जाती, इसी कारण हिंदुस्तान की जनता को इन सच्चाई से दूर कर दिया जाता है, पर अकेली मेरी रिपोर्ट ने ही पाँच हज़ार लोगो को दि गयी यातनाओ की सच्चाई को आगे ला दिया है , मिसाल के तौर पर एक बाप का सिर खौफ से भरे परिवार के सामने कलम कर दिया गया”, परवेज इस बात का खुलासा करते है |
में परवेज को कुछ समय के लिए रोक देता हू , जो कुछ मुझे बताया गया में उसे बर्दाश्त करने के लिए कुछ समय चाहता था |
हम और आगे, पाकिस्तान की सरहिद की तरफ जा रहे है | ये सचमुच एक हरी भरी जगह है- हरियाली और अनछुई खूबसूरती | बरफ से ढक्के बड़े बड़े पहाड़, अनछुई नदिया और गुफाये| मैंने ड्राईवर को कहा की मुझे कुछ ताजी हवा की जरुरत है | मैंने जिस जगह जाना है वहाँ जाने के लिए मुझे कुछ डर लग रहा है परन्तु जाना भी जरूरी है , वहाँ जाने से पहले थोडा यहाँ रुक कर हिम्मत जुटाना चाहता हूँ
हम दो गाँवो की तरफ जा रहे है: कुनन और पैश्पुरा |
यहाँ तेईस फ़रवरी उन्नीस सो इकानवे में कुनन को सेना द्वारा घेरा डाल लिया गया, और तेरह साल से उपर के मर्दों को गिरफ्तार कर लिया गया| वो लोग अपने साथ यातना देने वाले यंत्र साथ लेकर आये  थे और जो यातनाये उन्हें दी गयी वो बड़ी भयानक थी|
हम गाडी इक तरफ लगा देते है और फिर मुझे एक घर में ले जाया जाता है
ये एक बहुत ही साफ़ सुथरा सा घर है| हमने अपनी चप्पले और जुत्ते उतार लिए | बैठक में दो आदमी पहले ही दिवार का सहारा ले कर और नरम सिरहाने ले कर बैठे थे| एक तीसरा आदमी थोड़ी देर बाद बाहर से आता है|
हम वैसे यहाँ यातनाओ के उपर बात करने नही आये जबकि जबर जुल्म के उपर हमे बताया जायेगा |
पर वो लोग अपनी आप बीती बताना शुरू कर देते है , उनमे से एक बात को आगे बढाता है |
ये एक फरवरी का महीना था और काफी रात हो चुकी थी, भर काफी कड़ाके की ठण्ड थी| ये सब कुछ रात को ग्यारह बजे शुरू हुआ और सुबह चार बजे तक चलता रहा | सारे मर्दों को कड़ाके की ठण्ड में बाहर निकाल लिया गया और हम सब के कपड़े उतार कर ठंडी हवा में खड़ा कर दिया गया | चारो तरफ चार चार फुट बरफ गिरी हुई थी| हममे लगभग सैंकड़ो लोगो को यातनाये दी गयी उस बर्फीली ठंडी हवा में और चालीस से पचास आदमियों को तो बहुत ही बुरे तरीके की यातनाये दी| उन्होंने हमे करंट लगाया और ठन्डे पानी में लाल मिर्चे घोल कर हमारे सिर को डुबोया गया |
कमरे में कोई औरत नही है ना ही घर के आस पास कोई औरत नजर आयेगी |
एक और बजुर्ग ने बताना शुरू करना शुरू किया और मैंने अपनी आंखे उसकी तरफ कर ली| ये सब कुछ बहुत ही बैचेन करने वाला था और मुझे पता है की पच्चीस साल बाद ये सब कुछ याद करना बहुत ही मुश्किल काम था|
घर में औरतो और बच्चियों को ही छोड़ा गया था , वो अकेली और बेसहारा थी  बाद में दो सौ के करीब फौजी उन घरो में घुस गये मतलब हर घर में पाँच से दस, उन सब के पास शराब की बोतलें थी| वो सब शराब में टल्ली थे | औरोतो के साथ जबर जुल्म किये गये | उन सभी औरतो के साथ........और सिर्फ औरतो के साथ ही नही , छह से लेकर तेरह साल की लडकियों के साथ भी......उन सबके कपड़े फाड़ दिए गये फिर उनके साथ बलात्कार किया गया |
फौजी औरतो पर चिल्ला रहे थे “ हरामजदियो तुम उन सब बागियों के साथ मिली हुई हो ना?”
यह सब हिन्दुस्तानी फौजियों के द्वारा किया गया था और हिन्दुस्तान में सिर्फ आम बात है जिसे आसानी से ब्यान नहीं किया जा सकता | उनके गुप्त अंगो में धारधार चीजे या लोहे की सलाखों को गुसा देना और बहुत कुछ......
वो लोग अपनी  बात को आगे जारी रखते है “ हमारी  बहुत सारी औरते लहू लुहान थी| उनमे से कुछ तो चार से पांच दिन तक बेहोश रही थी “ ये मुझे उन तीन लोगो ने बताया जिन की पत्निया उस भयानक रात से गुजरी थी |



“उनमे से एक औरत को तीन दिन पहले ही बच्चा हुआ था , बच्चा अपनी माँ से चिपका हुआ था जब उस रात को फौजी उस घर में घुस्से थे, पहले उन्होंने उस बच्चे को दिवार के साथ पटक दिया फिर उस  औरत के साथ सामूहिक बलात्कार किया......”|
“इसके इलावा उन्होंने उस रात एक नाबालिक लडकी के साथ भी वो ही किया और उसकी दोनों टांगे  तोड़ दी और कुछ दिन बाद वो लडकी मर गयी ....”|
“कुछ औरतो को काफी साल तक इलाज करवाना पड़ा क्यूंकि  उनके गुप्तांग बुरी तरह से घायल कर  दिए गये थे “
“उस रात कुल मिला कर पाँच औरते मारी गयी...’
उस गाँव के दो पुलिस वाले थे , जिन्होंने उन औरतो की सहायता करने का प्रयास किया था और वो गवाही देने के लिए भी आगे आये थे परन्तु बाद में उनमे से एक को पकड़ कर गोली से उड़ा दिया गया  है|
मुझे बताया गया की चालीस औरते आगे आई और उन्होंने गवाही दी| ये सब शादी शुदा औरते थी | पर कोई कार्यवाही न हुई | हैरानीजनक ढंग से कनुन की  कोई भी लडकी  से अब शादी नही  करना चाहता क्यूंकि कलंक ही इतना बड़ा लगा दिया गया है
परवेज ने खुलासा किया किया की “अभी भी इसी जबर जुल्म को जंग के हथियार की तरह प्रयोग में लाया जाता है, जहा पे अवाम इस फौजियों से घिरी हुई है”|
“कुनन गाँव में इस प्रकार के जुल्म दहाने  के लिए एक भी फौजी को कभी भी कोई सजा नही हुई”
हमारे वहाँ से चलने से पहले उन जुल्मो की शिकार हुई औरत के एक पति ने खुलासा किया
“ये शुरुआत की बात है ............उसके बाद बहुत सारे खौफनाक वाकये हुए| हमने हिन्दुस्तानी कानून प्रबंध काम काज और रहन सेहन शुरू किया था| पर एक चौथाई सदी के बाद भी हमारे हालात वही है वो ही जुल्मो के शिकार होते है | यहाँ पर कानून सिर्फ कसूरवार को बचाने के लिए बनाये गये है | कश्मीर के फौजीकरण ने हमरी जिंदगियो को बर्बाद कर दिया है |अब तो हम लोग तक़दीर के शेयर है जो हमें इस नरक से मुक्ति दिलवा दे | हमारे लिए जो भी हुआ एक खौफनाक सदमा था | यहाँ तक की हमें दुसरो गावों के लोग हमें ताने मारते है “ ओए ! तुम सब लोग उस इलाके से हो ना जहाँ कि सारी औरतो के साथ बलात्कार किया गया था “|
ये एक मजबूत कश्मीरियों के साथ एक छोटा सा अनुभव था जिन्होंने मेरे आगे अपना दिल खोल देने का मन बना लिया था |
जब उनकी बातचीत का दौर ख़तम हुआ तो तब हम कनुन से पोश्पुरा की तरफ चल पड़े | लोग मेरे साथ पूरी तरह से घुल मिल गये थे और उन्होंने मुझे अपनी तस्वीरे लेने के लिए इज्जात दे दि थी |
मुझे वह सवीकार कर लिया गया था |
जब हमने अपनी गाड़ी को श्रीनगर की तरफ मोड़ लिया था तो रस्ते में गाड़ी में काफी देर तक चुप्पी छाई हुई थी फिर मेंने चुप्पी को तोड़ते हुए कहा
“परवेज???”
“हाँ”
ये बात की वो अब भी औरतो का मजाक उड़ाते है .....मैंने बात शुरू की “
मुझे पता था की परवेज भी इसी बात के बारे में सोच रहा था |
“उसने मुझसे पुछा की क्या आप उस लडकी से शादी करना चाहोगे जिसके साथ ये सब हुआ “|
“अगर मैं उस लडकी से प्यार करता हु तो जरुर करूंगा में एक स्वर में कहा “
“यहाँ कार हमारा सभियाचार फेल हो गया है” परवेज ने कहा| उस समय मुझे एहसास हुआ की वो भी वही करेगा जो मैंने उससे कहा |
मैंने उसे पुरबी तीमोर के एर्मेरा शहर जनतक अत्याचारों के बारे में बताया| ये सब इंडोनेशिया की फ़ौज ने किया था वह का मंजर बिलकुल कश्मीर के कनु गाँव जैसा था |
उस समय में पूर्वी तीमोर में गेर क़ानूनी काम कर रहा था| मुझे गिरफ्तार कर लिया गया एयर काफी दिन तक टार्चर रूम में टार्चर किया गया| वहाँ पर मौजूद जितने भी अत्याचारी थी आज वो सभी इंडोनेशिया में राज कर रहे हैं |
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जब हम कुपवाड़ा षेत्र को पार गये तो कार का माहोल बदल गया |
परवेज ने कहा की “ में तुम्हे बताना नही चाहता था , पर यह सम्भावना बहुत थी कि हमे रोक लिया जाता और हमारी तलाशी ली जाती या पूछ-गिज की जाती या टार्चर सेंटर ले जाया जा सकता था ...........”
मैं समझ गया |
पर अब सब कुछ ठीक-ठाक था|
हम जितनी दूर कुपवाड़ा से जा रहे थे उतना ही महफूज महसूस कर रहे थे, अब तक हमने अपने सफ़र को सही ठहराने के लिए काफी सारी दलीले दे चुके थे| मैंने कार से ही कुछ फौजियों की तस्वीरे खिंच ली थी | फिर मैंने ड्राईवर को कार रोकने के लिए कहा मुझे यूरिन के लिए जाना था | उसने कश्मीर के बहुत खूबसूरत सेब के बाग़ के आगे ब्रेक लगाये | मैं कार से उतरा और पहले पेड़ की तरफ चल पड़ा , ताज़ी हवा और खुबसूरत गाँव और बहुत कुछ.......| फिर मैंने एक फौजी को खड़ा देखा जो की कुछ मीटर दूर एक बंकर में छुपा हुआ था, अपनी मशीनगन के साथ, हर समय तैयार |
मैंने उसके तरफ मुंह करके यूरिन करना शुरू कर दिया | फिर मैंने उसका मजाक उड़ाते हुए उसे सलूट मारा | उस फौजी के मुह पर कोई मुस्कराहट नही थी वो तो दबंग की तरह उस सेब के पेड़ के नीचे खड़ा रहा | में उस नजारे को देख के सोच रहा था की कश्मीर के अन्दर सेब के पेड़ ज्यादा है या फौजी ??


मैं टक्कर लेने वालो लडाको के लिए मशहूर शहर सोपोर में श्रीमान हसन भट्ट के घर गया |
श्री भट्ट उनमे से एक लडाका था, पर उसको ग्रिफ्तार कर लिया गया और बहुत बार उसे यातना सेंटर में ले जाया गया और वहां कई दिनों तक उसके साथ मार-पीट की और करंट लगाया गया, फिर वो टूट गया और उसने उस सरगर्मी वाले अभियान को अलविदा कह दिया|
सुरक्षा ताकतों ने उसके दोनों जवान बेटो को मार दिया था| दोनों बेटो को बिलकुल पंद्रह सालो की उमर में मार दिया गया था| उसका एक बेटा दो हजार छह में दूध की दूकान पर दूध लेने गया था , उसी समय एक फौजी ने चलती गाड़ी से उसकी छाती पर गोली मार दी और वो वही पर ढेर हो गया | दूसरा बेटा 2010 में उस समय मारा गया , जब कुछ लडाके पथराव कर रहे थे , और वो भी पत्थर  मार के घर की तरफ भाग रहा था फौजी  उसका पीछा कर रहे थे तो उसने दरिया में छलांग लगा दी | पुलिस ने पानी में जिसे भी देखा उसके उपर अश्रु गैस के गोले दागने शुरू कर दिए, उनमे से एक उस लडके के सीधा सिर पर जा लगा और वो वही पे मारा गया |
“ में उन दोषियों को  जानता हु , मैं  जानता हूँ की वो ठाणे का इन्चारज कौन था जिसने वो गोले दागे थे”, श्री मान भट्ट कहता है (जिसके दोनों बेटो को मार गिराया गया  था )| मैंने उस के खिलाफ केस दर्ज करवाने की बहुत कोशिशे की  पर हर मुझे जलील करके भगा दिया गया |
“वो इन्चारज अफसर अब यु.एन ओ. शांति सेना में शामिल होने जा रहा है” परवेज ये सब बताता है | “ हिन्दुस्ता अक्सर उन् लोगो को यु.एन.ओ. में भेज देता है जो लोग कश्मीर में लड़ते है | ये चीज एस देश के लिए अच्छा पैसा कमाने का तरीके है ............ पर मेरी जत्थेबंदी ने उस के खिलाफ सारे साबुत इकठे करके यु.एन.ओ. को भेज दिए पर कुछ टाइम बाद हमारी अर्जी को सिरे से नकार दिया गया  और हमे चेतावनी भी दी गयी की भविष्य में हम किसी पे ऐसा इल्जाम न लगा सके, परवेज ने बात खत्म की |
दरअसल मैंने हिन्दुस्तानी यु.एन. “ शांति सेना “ को कांगो लोकतंतर गणराज्य में गोमा के अंदर करवाई करते हुए देखा था , जहा यु. एन.एच.सी.आर.(शरनार्थियो के लिए यु.एन. हाई कमीशन) के मुखी ने मेरे आगे हिंदुस्तान की “शांति सुरक्षा दस्ते “ द्वारा की गयी गैर क़ानूनी हरकतों के बारे में मुझे गुप्त रूप से बताया था |
उसके बाद में और श्रीमान भट्ट जेहलम नदी के किनारे जा कर खड़े हो गये|
“ये बड़ी दूर पाकिस्तान तक जाता है” भट्ट साहब ने मुझे इतला किया |
जिस भयानक समय से भट्ट साहब गुजरे है उसके बावजूद भी वो बहुत ही दयालु , और बहुत ही सज्जन किस्म के इंसान है|
मैंने उस साजन पुरुष से पुछा की क्या वो सोचता है की कश्मीर आज़ादी हासिल कर लेगा??
“अस्सी% कश्मीरी अवाम आज़ादी चाहती है”, वो कहता है| मैंने भी सोचा अस्सी % बहुत बड़ी संख्या होती है या नही ??
मुझे वो जगह दिखाई जा रही है जहाँ उन्नीस सो तरान्न्वे में बी.एस.ऍफ़.(बॉर्डर सिक्यूरिटी फार्स) की तरफ से सोपोर शहर का पूरा इलाका  तबाह कर दिया गया  था उस समय 53 लोगो को मार दिया गया  था|
उसके बाद हम एक घर में जाते जाते है,जहा कुछ दिन पहले हिंदुस्तान सुरक्षा ताकतों और मुजाहिदीनो के बीच में एक जबरदस्त टकराव हुआ  था |
सोपोर शहर आज भी बड़ी ताकत से लड़ रहा है  , पर वह एक भय भी है | ठण्ड है, और भय भी है |
वहाँ कुछ लोगो ने मुझे बताया की अब सोपोरे और उस जैसे इलाको में विरोध करना एक डरावना सपना है|  क्यूंकि लोगो को गायब कर देना उस इलाके में एक आम सी बात है|
मुझे ये भी बताया गया  की इस इलाके में लड़ने वाले युवाओ को दूर करने के लिए और भटकाने के लिए सुक्ष ताकते उन्हें नशे की तरफ धकेल रही है |
पर कुछ और लोग कहते है की सोपोर के लड़के अपनी लड़ाई लड़ने में एक द्रिड संकल्प से काम कर रहे है|और वो सब वह पर सरगरम है | ये शहर बहुत बहादुर लडके पैदा करता है, वो लोग जो झुकते नही है वो लडके जो डरते नही है| इसीलिए ह्न्दुसतानी ताकते इस इलाके को मिनी पकिस्तान कहते है अब इन लडको के लिए सवाल ये उठ रहा की इस खतरनाक फ़ौज के साथ लड़ना इतना आसान है या नही अगर आसान है तो कैसे ?
ये तब तक हो सकता है , यह तक की सोपोर में , यहाँ तक की आधी रात को, एक उस घर के सामने जहाँ अभी कुछ दिन पहले  लड़ाई हुई थी, वहाँ पर हर कोई हकीकत को जानता है ; “सिर्फ लोगो का गठजोड़ मदद कर सकता है “|
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एक समय तक तो कोई भी इन गैर कानूनी हत्याएं, लापता कर देना, यातनाये और बलात्कार के बारे में लिखे लेख और रिपोर्ट को पढ़ कर बोर हो जाता है , और दिमाग भी तक़रीबन सुन हो जाता है|
एक समय पर मुझे एक ऐसे आदमी से मिलवाया गया और सबूतों को दिखाया गया जिसको सुरक्षा  ताकतों ने पकड़ लिया था और बुरी तरीके से यातनाये दी गयी थी और जब उन्हें लगा की वो बागी है तो उसकी दोनों टांगो को काट दिया गया | पर उस हिम्मत वाले आदमी ने इसे भी सहन कर लिया | बाद में उस आदमी को काफी दिन तक जेल में रखा और जब वो वहाँ पर रह रहा था तो सुरक्षा ताकतों ने उसके शरीर का मांस काट काट कर उसे दिया और उसे खाने पर मजबूर किया गया | और उस चमत्कारी आदमी ने इसे भी सहन कर लिया......मामले को कोर्ट में भेजा गया पर किसी को भी सजा नही दी गयी|
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यहाँ जन कतेलाम हो रहा है, भयानक , कहर भरी धरती , और हिन्दुस्तान या पश्चिम देशो की भुजदिल  मीडिया ओर बुद्धिजीवी इन अत्याचारों की चर्चा नही करते |
अगर कोई कश्मीर के इन हालातो की चर्चा करता है या कोशिश करता है तो उसे देश द्रोही करार दे दिया जाता है , धमकाया जाता है, मारा जाता है |
अरुंधती रॉय (एक समाज सेविका , बुद्धिजीवी , लेखिका और बुकर प्राइज विजेता ) को बार बार देश द्रोही कहा जा रहा है , उन्हें पता नही कितनी बार उनके खिलाफ मुकदमा चलाने या उमर कैद दिए जाने की धमकिया दी जाती गयी है|
सब के प्यारे रेडियो होस्ट डेविड बरसामिया ( अल्टरनेटिव रेडियो अमेरिकन बानी ) को हिन्दुस्तान से बिना कारण दिये निकाल दिया गया |
अक्टूबर 2011 में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील प्रशांत भूषण के द्वारा कश्मीर के हालातो पर टिप्पणी करने पर सुप्रीम कोर्ट के अन्दर उनके ही  चैम्बर में जब वो बेठे थे तो हमला किया गया और बुरी तरह से पीटा गया।

 कश्मीर में सिर्फ हिन्दुस्तानी सैलानी ही नही विदेशी सैलानी भी आते जाते रहते है| वो लोग सिर्फ गुलमर्ग के बर्फीले इलाके में चहलकदमी करने या स्नो बोर्डिंग करने आते है या लद्दाख के इलाके में पैदल यात्रा करने आते है | यह पर ज्यादातर इस्राइली या अमेरिकी सैलानी आते है  |
बहुत सारे स्थानीय लोग इसे “ ब्लात्कार्स्तान का भयानक सैर सपाटा “ कहते है |
गुलमर्ग के पहाड़ो में मुझे कई जोड़े मिले | मैंने बर्फ के उपर चहल कदमी करते हुए बरतानवी  जोड़े , और छुट्टिया काटने आये जर्मन जोड़े से बात शुरू की कि क्या तुम लोग कश्मीर के इन ब्यानक हालातो के बारे में जानते हो  उनका एक सपशट और साफ़ सा जवाब था की “नही “| फिर मैंने उन्हे पुछा की क्या अपने फुअजी ट्रक , बंकर , हथियार नही देखे जिन्होंने पुरे कश्मीर को बर्फ की तरह ढक्का हुआ है ????
उनका जवाब था की कश्मीर के लोग आंतकवादियो का साथ देते है तो लाजमी उनसे निपटने के लिए ये सब जायज है या नही है ???
अमेरिका राज्य अपने पड़ोसी देशो में अपने तरीके से वहाँ पर दहशत फ़ैलाने का काम और वहाँ के लोगो के उपर अमानवीय अत्याचार करने का काम कर रही  है जिसके पुख्ता दस्तावेज उपलब्ध हैं| ये सब पड़ोसी मुल्क है :- अफ्रीका में रवांडा , यूगांडा और कीनिया , लैटिन अमेरिका में हन्द्रूस और कोलंबिया, मध्य यूरोप में इसराइल, सऊदी अरब और क़तर, इंडोनेशिया, थाईलैंड और अब दक्षिण एशिया में हिन्दुस्तान |
यु.एन.ओ. इन सभी देशो को मुस्कराहट बेखरने वाले देश या अहिंसावादी देश की उपाधि दे कर इन्हे सन्मानित करती है| ये पूरी तरह हास्यपदक सा महसूस होता है, पर कहीं न कहीं बहुत से लोग इन शब्दों को ही सच्चाई मान लेते हैं |
वजह यह है की बहुत से लोगो को इन सब चीजो के बारे में पता ही नही है| वजह ये भी है की पधार्थ्वाद का हो जाना या आपकी इंसानियत का मर जाना |
और ये सब बंद हो जाना चाहिए | इंसानियत के खिलाफ इन जुल्मो को नंगा करना होगा | हजारो बेकसूर लोगो को मारने वाले इन मुल्को को शर्मिंदा करवाना पड़ेगा |
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जैसे मैंने इकरार किया था की २६ जनवरी को में श्री नगर में उसी बड़ी मस्जिद पर लोट आया | में कुछ लडको के पीछे चलता रहा | कुछ गलियां आगे जा कर , तक़रीबन दोपहर के दो बजे लडिया शुरू हो गयी उन लडको  के झुण्ड और फौजियों के बीच |
ये एक अनाडी लड़ाई थी पर बहुत ही ज्यादा सख्त , और साफ़ तोर पर फिलिस्तीन की लड़ाई जैसी |
यहाँ पर एक ही बड़ा अंतर था की मुझे छोडके वहाँ के सथानीय लडको के होंसले, के अलावा यहाँ पर दूसरा और कोई नही था जो सुरक्षा ताकतों के खिलाफ गवाह बन सके |
इससे दो दिन बाद मैं एशिया की सबसे लम्बी केबल कार में सवार हो गया है| में देखना चाहता हूँ की “उस पहाड़ी के उपर क्या था “| निश्चित ही वहाँ पर एक फौजी अड्डा है|
 नीचे उतारते वक्त, बिजली गुल हो गयी और हमारा आसमानी शिकारा  हवा में ही बंद हो गया| शिकारे का दरवाजा बंद नही होता था  और उसमे हर जगह सुराख़ थे फिर समझ में की में कश्मीर में हूँ| अगर कुछ देर और बिजली न आती तो मेरी वही ठण्ड में कुल्फी बन जाती और शायद में अल्लाह को प्यारा हो जाता |
हिंदुस्तान इस धरती के उपर दुनिया की सब से गंभीर मसले में फसा हुआ हुआ है: अनपढ़ता से ले कर घोर गरीबी तक| व्यवहारक रूप में अगर बात की जाये तो इस गरीब शेत्र में सात लाख फौजियों  के लिए अरबो डॉलर का खर्चा आता है| अगर हिंदुस्तान के अमिर तबके , हकुमत, और  फ़ौज को कश्मीर के लोगो के बुरे हाल की फिक्कर नही है तो कम से कम उनकी गरीबी की तरफ ही ध्यान लगा ले |
कश्मीर को वहाँ के लोगो की इच्छा के विरुद्ध कब्जे में रखना न तो हिंदुस्तान के लिए फायदेमंद है और न ही वह की अवाम के लिए, निश्चित ही यह गैर जमुहुरी और वेह्शी है....... और बिलकुल ही गैर जरुरी है |
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फिर भी कश्मीर में आपका स्वागत है| इस की खूबसरती सच में ही दन्त कथाये लगती है |इस की झीले, परबत मालाए, गहरी घाटिया और दरिया दिल को छु ले वाले है | लोग बहुत ही नरम सवभाव , आव भगत करने वाले , पर इरादे के बहुत ही पक्के है| कश्मीर लहू लुहान है| इसकी घाटियों को कांटे वाली तारो से ढक दिया गया है| यहाँ की औरतो के साथ जुल्म किये जाते है | यहाँ के मर्दों को यातनाये दी जाती है और उनके अंग काट दिए जाते |कश्मीरी अवाम की  आवाज को दब्बा दिया गया है | उनके एस हाल को दुनिया में कोई नही जानता न ही कोई जानना चाहता |
सात लाख सुरक्षा ताकते 300 लोगो के साथ लड़ रही है | और ये फ़ौज कभी जीत नही सकती| क्यूंकि स्वाभाव सीधा सा है |इतिहास गवाह है दुनिया की  कोई भी ताकत अपनी ताकत से लोगो को नही दबा सकी है जिन लोगो को अपनी आज़ादी बहुत ही प्यारी है||||||

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