शहादत
अब्दुर्रहीम महमूद
मैं रख लूँगा अपनी रूह
अपनी हथेली पर
और घुमा के फेंक दूंगा उसे
मौत की आरामगाह में
मेरी जिन्दगी को
खुश करना चाहिये दोस्तों को
या मिटा देना चाहिये दुश्मनों को ?
खुशनसीब जनम लेते हैं दुनियाँ में
फूलों को, सपनों को हथियाने के लिए
जिन्दगी क्या है
क्या है मक़सद इसका
मैं नहीं चाहूँगा जीना एक भी पल
अगर ताक़तवर न समझें मुझे
मेरे वतन की एक नामुमकिन चारदीवारी
सुनते हों सब मेरी बात, ग़ौर से
गूंजती हो मेरी आवाज, मेरे बाद
क़सम खुदा की,
जिम्मेदार होऊँगा अपनी मौत का मैं खुद ही
बढ़ता हूँ इसकी तरफ़
हिम्मत और जल्दी से
एम एफ हुसैन
मारा गया है हक्क, इसलिए
चाहता हूँ अपने वतन को, इसलिए
तलवारों की झनझनाहट
है सबसे मीठी आवाज़
ख़ून नहीं जगाता कोई दहशत
मुर्दा जिस्म पड़ा हो
किसी वीरान, सूखे रेगिस्तान में
परिदों के नोंच खाने के लिए
बच रहता है फिर भी, एक हिस्सा
ज़मीन और जन्नत के शेरों के लिए
सिंच गई है ज़मीन, शहीद के ख़ून से
महक उठी है फ़िजा, शहीद के ख़ून से
खूनी हवा
सहलाती है शहीद का चेहरा धूल से
चलो, एक मुस्कराहट तो आई होठों पर
इस तरह बेज़ार दुनियाँ से
बोझिल हो जातीं हैं पलकें नींद से
सो जाता हूँ, फिर से, उसी सपने की तलाश में
ख़ुदा गवाह है,
यह मौत होगी वाक़ई एक मर्द की मौत
जो चाहते हैं मरना इस तरह
वे मर ही नहीं सकते किसी और तरह
मैं नहीं पैदा हुआ
उन बदज़ातों की सज़ा भुगतने के लिए
कैसे
कोई कर लेता है
इनकी ज्यादतियाँ बर्दाश्त
डर से ?
शर्म से ?
पर, क्या मैं नहीं हूँ ऊपर से नीचे तक
शान ही शान ?
घुमा के फेंक दूंगा अपना दिल
सीधा, दुश्मन के चेहरे पर
दिल है मेरा फ़ौलादी, आग का गोला
मेरी तलवार की धार
देख रही है पूरे वतन को
मेरे हमवतन
क़द्र करते हैं
मेरी हिम्मत की
०००
कवि का परिचय
अब्दुर्रहीम महमूद- 1913 में जन्म। 1948 में अँग्रेजी और जिओनिस्ट फौजों के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हुए। अबू सलाम और इन्नाहिम तूकान जैसे दिग्गज कवियों के साथ इनका नाम भी आधुनिक फ़िलिस्तीनी कविता के आधार स्तम्भों में गिना जाता है।
०००
अनुवादक
राधारमण अग्रवाल
1947 में इलाहाबाद में जन्मे राधारमण अग्रवाल ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम कॉम तक पढ़ाई की , उनकी कविताएं लिखने में और तमाम भाषाओं का साहित्य पढ़ने में रुचि थी। उन्होंने विश्व साहित्य से अनेक कृतियों का अनुवाद किया। 1979 में पारे की नदी नाम से कविता संग्रह प्रकाशित हुआ। 1990 में ' सुबह ' नाम से उनके द्वारा अनूदित फिलिस्तीनी कहानियों का संग्रह प्रकाशित हुआ । 1991 में एयरफ़िलिस्तीनी कविताओं का संग्रह ' मौत उनके लिए नहीं ' नाम अफ्रो-एशियाई लेखक संघ के लिए पहल द्वारा प्रकाशित किया गया था।
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