एक
मैं एक कृतज्ञ देह हूं
तुमने मुझे कपड़े दिए
तुमने मुझे आजादी दी
लेकिन तुमको मैं
अधिकार से कुछ कहती हूं तो
तुम्हारी भृकुटी टेढ़ी होने लगती है
हां मेरी देह रोएं रोएं पर तुम्हारे ही
दिए कपड़े,खाने ,ताने,
सभी का अधिकार है
मैं कृतज्ञ हूं
लेकिन मैं
कृतज्ञ होकर मरना नहीं चाहती
एक बार ही सही लेकिन
मैं अपनी देह को
अपनी कृतज्ञता देना चाहती हूं
मैं कृतज्ञ होना चाहती हूं
उन आशिषों की जिन्होंने मुझे
हमेशा हौसला दिया
उन निगाहों का
जिनमें मेरे लिए प्रेम और स्नेह था
उस अमरूद के पेड़ का
जिसपर मैं घंटो बैठ कर सुग्गों को देखा करती थी
उस समय वे मुझे दुनियां के सबसे सुंदर चित्र लगते थे
आम के पेड़ से लिपटी
देशी बेला की बेलों का
जिनकी खुशबू आज भी
उन हथेलियों में बसी है
मैं इन सभी की कृतज्ञ होकर
मरना चाहती हूं।
महावीर वर्मा
दो
हज़ार निगाहें–
मैं जब घर से निकली थी
कई निगाहें
देर तक पीछा करती रहीं
मेरे सैंडिल के तलवों में
चिपकी रहीं
वो देर तक
किसी ने प्रशंसा से देखा
किसी ने व्यंग्य से
किसी ने अश्लीलता से
तो किसी ने प्रेम से
मुझे इन निगाहों की
भाषा बिना उनकी ओर देखे ही
समझ आ गई
मैं कृतज्ञ हूं
प्रेम की !!
तीन
आकाश में इंद्रधनुष था
उसके ठीक नीचे
आंखे
उसमें इंद्रधनुष ने
अपने रंग भर दिए
और
इन आंखों में ख़्वाब तैरने लगे
०००
चार
बेटी के साथ तितली भी अंदर आई....
कुछ बीज छिंटा दिया है
उर्वर धरती की कोख में
मैं जानती हूं
मेरी बेटी के रास्ते में
जब भी अंधेरा छाएगा
वो इन बीजों की रोशनी में
पहचान लेगी अपना रास्ता
बीज बोना आसान है
मगर ज़िंदा रखना
बहुत मुश्किल
मैं जानती हूं
लोग उस जमीन को ही बंजर बनाने में जुट जाएंगे
लेकिन मैंने बेटी के हाथ में
थमाया है आत्मविश्वास की खाद
वो फिर से उगा लेगी उन बीजों को
मैंने बेटी को आने के लिए गेट खोला
बेटी के साथ
तितली भी अंदर आई।
०००
पॉंच
तुम ढूंढ रहे थे...
तुमने ढूढ़ा मेरे चेहरे पर
चुम्बकीय आकर्षण
और मैंने बुद्धिमता
तुमने ढूढा मेरे चेहरे पर
नमक
और मैंने
मिठास
तुमने ढूढा मुझमें धर्म
और मैंने विज्ञान
तुम बताते रहे एक अच्छी
स्त्री की परिभाषा
और मैं उसका संदर्भ ढूंढती रही
तुमने देखना चाहा निर्वस्त्र मुझे
और मैं चाहती रही
मेरी साड़ी की तहे ठीक करो
एक पुरुष के स्पर्श से मैं बनी शिला
और एक पुरुष के स्पर्श से मिला
तुमने ढूढ़ा हमेशा प्रश्न
और मैं उन प्रश्नों के उत्तर।।
०००
परिचय
जन्म :मीरजापुर जनपद, उत्तर प्रदेश।
शिक्षा : हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर, 'मुस्लिम कृष्ण भक्त कवियों की प्रेम सौंदर्य दृष्टि' पर पीएच. डी.।
प्रकाशन :हंस, वागर्थ, आजकल, अहा! जिंदगी, वीणा, लमही,समकाल,बनास जन ,स्त्री लेखा,दोआबा,पाखी,समय संज्ञान,
पंजाबी पत्रिका:राग,समय साक्ष्य,भाषा, हिम्प्रस्थ ,समकालीन स्पंदन, सोच विचार, उत्तर प्रदेश पत्रिका,अभिनव मीमांसा, दी अंडरलाईन ,राजस्थान पत्रिका,विपाशा, अभिनव प्रयास, कथा बिंब,पिक्चर प्लस ,पाठ, ,न्यूज 18,दैनिक जागरण आदि में तथा 'हौसला' 'बिजूका' एवं 'मेरा रंग' हस्तांक ब्लॉग पर कविताएँ प्रकाशित।संपादित किताब आँचलिक विवाह गीतों के संग्रह 'मड़वा की छाँव में'पर लघु शोध किया जा रहा है।
सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन कोलकाता द्वारा ,आयोजित स्त्री
सम्ममिलन के 29 वें हिंदी मेला में कविता पाठ।
स्त्री दर्पण पर पच्चीस समकालीन कवयित्रियों की कविताओं का श्रृंखला बद्ध पाठ, एवं यूट्यूब पर कविताओं की सीरीज।
सुचेता ब्लॉग पर कविताएँ।
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पुरवैया मंच ,डाइस, जन सरोकार, संवाद हिंदी श्री पर कविता पाठ।
भोजपुरी, कन्नड़,अंग्रेजी ,पंजाबी में कविताओं का अनुवाद।
प्रसारण : आकाशवाणी वाराणसी केंद्र और लखनऊ दूरदर्शन से कविताओं का प्रसारण।
काव्यकृति: कविता संग्रह 'ओ रंगरेज', 'वर्जित इच्छाओं की सड़क' प्रकाशित.
आंचलिक विवाह गीतों का संकलन 'मड़वा की छाँव में' प्रकाशित।
संपादन: शब्दों के पथिक साझा संकलन ,मशाल सांझा संकलन।
सम्मान : परिवर्तन संस्था द्वारा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा सम्मानित।
अमर उजाला का 'अपराजिता 'सम्मान ।
सम्प्रति : स्वतन्त्र लेखन।
सम्पर्क:
सरस्वती विहार कॉलोनी, भरुहना
जिला-मीरजापुर-231001 (उत्तर प्रदेश)
ई मेल : anumoon08@gmail.com
बहुत उम्दा कविताएं. बधाई
जवाब देंहटाएंसभी कविताएँ श्रेष्ठ और स्त्री भावों से भरी हैं। बेहतरीन कहना उचित होगा 💐
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविताएँ
जवाब देंहटाएंआपकी हर रचना मन छू जाती है! बस ऐसे ही लिखती रहें आप, यही कामना है..
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