नोटबुक्स
मैं समुद्र तट पर सावधानी से चल रहा हूँ कि
दिख जाए यदि एक बच्चे के पैरों के निशान
बच्चा जो खो चुका है एक या दोनों पैर
या, जो नहीं सुन सकता अब और
लहरों का शोर।
०००
इस मृत्युदूत ने अभी-अभी टुकड़े किए हैं मेरे शरीर के
और निकाल ली है मेरी आत्मा।
इसने मुझे वहाँ ख़ून सनी ज़मीन पर छोड़ दिया है,
मेरी उँगलियाँ पड़ोसी की टूटी खिड़की पर चिपकी
आराम कर रही है
मुझे इसने मुड़ कर नहीं देखा कि
मुस्कुरा रहा हूँ या फिर रो रहा हूँ मैं
और यह कि मेरा मुँह सही सलामत है या नहीं
इसे मेरी आत्मा चाहिए बस।
मेरा परिवार बाहर मेरी देह ढूंढ रहा है।
०००
रात के हवाई हमलों के दौरान
हम सभी पत्थरों में बदल गये।
०००
जब मैं विस्फोट की आवाज़ सुनता हूँ
मुझे मेरी खिड़की पर बैठी
स्थिर हवा में उड़ आई रेत की गंध आती है।
जब भी एक बादाम पेड़ की शाखाएं हिलती हैं,
मैं सुन सकता हूँ
एक छोटे कुत्ते की भौकने की आवाज़।
वह सोचता है कि एक चिड़िया
उसे डराने की कोशिश कर रही है।
क्या यह खेलने का समय है?
गर्द की मोटी परत पेड़ और कुत्ते पर गिरती है,
और मेरी खिड़की से तेजी से भीतर आती है,
मेरा भ्रम दूर हो जाता है।
०००
रात को मैं लाइटें बंद कर देता हूँ ताकि एफ-16 और उसके बम पकड़ न पाए मुझे
ताकि गर्द दौड़कर अंदर न आएँ
मेरे नए कपड़ों को ढकने,
ताकि त्वचाविहीन हवा को काटती आए गोलियाँ तो न लगे मेरे कंधों को।
०००
मैंने सड़क पर चलते हुए एक पेड़ देखा
मैंने लिखी इसकी पतली शाखाओं और
चमकीली पत्तियों पर एक कविता,
अपने घोंसले में एक रॉबिन,
घुमाने वाली गाड़ी में बैठे बच्चे को निहार रही है,
एक माँ अपनी आस्तीन ऊपर चढ़ा रही है।
अगले दिन, मैं फिर उसी सड़क पर चला,
पेड़ वहाँ नहीं था।
मैं तेजी से अपने कमरे में लौटा,
मैंने अपनी नोटबुक में कविता ढूंढी,
कविता का पन्ना फाड़ दिया गया था।
मैं उस सड़क पर वापस लौटा।
कोई पेड़ नहीं था।
मैं कमरे में वापस गया।
वहाँ नोटबुक नहीं था।
मैं आईने में देखता हूँ,
और अपनी युवावस्था का एक भूत देखता हूँ।
मैं फर्श से पेन उठाने के लिए बैठ जाता हूँ।
आईना मेरा पीछा करती है,
और मेरे सिर पर टूट कर गिरती है,
मैं जाग जाता हूँ।
०००
टिन की छत में एक छेद से बारिश की बूंद
गिरती रही फ्राइंग पैन पर।
०००
दो कंबल,
एक तकिया, और रेडिओ की प्रतिध्वनि लेकर
हमने घर छोड़ दिया।
०००
ऐसा क्यों है कि जब मैं फिलिस्तीन का सपना देखता हूँ तो वह मुझे काले और सफेद रंग में दिखाई देता है?
०००
लोग कहते हैं चुप रहना निशानी है सहमति की,
क्या होगा अगर मुझे बोलने की अनुमति न मिले तो,
मेरी जीभ काट दी जाए,
सिल दिया जाए मेरा मुँह
बंद।
०००
यहाँ तक कि कलम भी चाहती थी उसके बारे में लिखना जो कुछ उन्होंने सुना,
जिसने उन्हें झकझोर दिया
जब वे दुपहरी के आरम्भ में
झपकी ले रहे थे।
०००
कब्र, रेत और पास से गुजरने वाले आगंतुकों की प्रार्थनाएँ और कहानियाँ
जो उस पर गिर रही थीं, से भरी हुई थी।
०००
लम्बे समय से शोर हो रहा है
और मैं अपने पुराने हेडफोन पर
शांति की रिकॉडिंग सुनने के लिए
अवसर तलाश रहा हूँ।
०००
स्वप्न देखती निर्जन नाव
एक निर्जन नाव,
समुद्र तट पर
अकेला बैठा मैं।
लहरे आती हैं
मुझ तक पहुंचने का प्रयत्न करती हैं,
जैसे मेरे हाथों को छूना चाहती हों,
मुझे बताना चाहती हों कि
सुरक्षित हूँ मैं
कम से कम अभी के लिए।
सीगल पक्षी ऊपर से उड़ते हैं
कुछ पल
छाया और आनंद देते हैं।
अमावस की रात
अंधेरा जल्दी छाता है।
मैं ख़ुद को
समुद्र में बहता हुआ पाता हूँ
मेरे बाजू से
एक पानी का दरवाजा खुलता है
मैं घूम रहा हूँ,
चक्कर खाता हुआ एक ऐसी स्थिति में पहुँच रहा हूँ जिसका अनुभव मैंने पहले कभी नहीं किया।
मैं सुरक्षित महसूस करता हूँ,
हमेशा के लिए सुरक्षित।
"शांति से आराम करो,"
मैंने पिताजी को बोलते सुना।
"तुम्हें एक बेहतर जगह मिल गई है।"
०००
दीवार और घड़ी
वहाँ दीवार पर हमेशा एक घड़ी रहती है
जब कभी मैं कमरे में आता हूँ
मुझे उत्सुकता होती है,
मैं उसे नीचे उतारना चाहता हूँ,
देखना चाहता हूँ कि क्या है उसके चेहरे के पीछे?
जानना चाहता हूँ घड़ी की उम्र,
जब लेकर आए थे पिता
मैं छोटा था तब।
मैं घड़ी के दातों को गिनना चाहता हूँ
उम्र पता करने के लिए।
लेकिन,
बूढ़ी नहीं होती घड़ी कभी
इसकी संख्याएँ बदलती नहीं कभी।
केवल मैं बदलता हूँ।
और तब,
यहाँ एक झूलने वाली कुर्सी है
मैं बैठा हूँ जिस पर,
कमरे में अकेला मैं
कुर्सी पर आगे-पीछे कर रहा हूँ,
कुछ भी नहीं करता हूँ
बस सोचता हूँ कि
घड़ी को डांट रही है दीवार,
"टिकटिक बंद कर!"
तकलीफ़ होती है मेरे कानों को।
मैं दीवार पर पेंट में पड़े दरारों को देखता हूँ,
यह घड़ी की टिकटिक की आवाज़ से कुछ अधिक है।
जब भी कमरे में दाख़िल होता हूँ,
बमों के छर्रोँ से दीवार में हुए छेद मुझे घूरते हैं।
(हमले में घड़ी टूटने से बच गई थी)
मैंने जल्दी से घड़ी से बैटरियों को निकाल लिया।
मैंने घड़ी से फुसफुसाकर कहा:
मैं तुम्हें डॉक्टर के पास ले जाऊंगा,
हालांकि यहाँ तुम अकेले नहीं जो बीमार है।
रंग उखड़ना बंद हो चुका है।
मैं घड़ी लेकर घड़ीसाज़ के पास जाता हूँ,
घड़ी को बेआवाज़ बनाने के लिए कहता हूँ,
घड़ीसाज़ स्वर-यन्त्र (वोकल कॉर्ड) बाहर निकाल देता है
और उसका मुँह बंद कर देता है।
मैं दातों को नहीं देख पाता,
न ही डॉक्टर से ही पूछा मैंने।
घर पर, मैंने बैटरियां वापस लगा दी।
घड़ी चुपचाप अपना काम करने लगी।
उसने घर की चुप्पी में
कुछ और चुप्पी भर दी।
मैं कुर्सी पर आराम से बैठ जाता हूँ
और छत से लटकते चुप्पी के धागों को तोड़ने के लिए
कुछ कविताएँ ज़ोर से पढ़ने लगता हूँ।
दीवार में छेदों से ठंडी रात की हवा भीतर आती है
मैं उन कविताओं के पन्ने फाड़ देता हूँ जिन्हें ऊँची आवाज़ में पढ़ चुका था,
और चिंदियों को छोटी, बंद नहीं की जा सकने वाली बेडौल हो चुकीं खिड़कियों में ठूंस देता हूँ।
मैं अगले दिन काम पर 2 घंटे देर से पहुँचता हूँ।
घड़ी को उसके 'उपचार' के बाद 'सेट' नहीं किया गया था।
यह तय था कि घड़ी बोल पाती यदि तो उसने मुझे ही बदल दिया होता।
जब मैं समय 'सेट' करने का प्रयास करता हूं तो घड़ी के मुंह से संख्या 4 गिर जाती है।
मानो सामने का दांत टूटकर गिर गया हो।
चार दिन बाद मेरे भाई हुदैफ़ा का निधन हो गया।
०००
रेगिस्तान और निर्वासन
(धूप में रहने वालों के लिए)
रात में कौन अधिक विस्तृत है रेगिस्तान या अंधेरा?
रेत में कौन अधिक भारी है तुम्हारे पैर या तुम्हारा भय?
तुम क्यों पानी के चहबच्चे की दीवारों पर दस्तक नहीं देते?
क्या नींद ने तुम्हारे मुंह के चारों ओर अपनी मोटी रस्सी लपेट रखी है?
मैं चलती हुई रेत पर पहियों की आवाज़ें सुन सकता हूँ।
मैं खामोशी के धड़कते दिल की आवाज़ सुन सकता हूँ।
ड्राइवर नक्शा खो देता है और धरती के उस हिस्से में ले जाता है जहां तुम्हें दफ़नाया जाएगा।
लेकिन तुम्हारी साझा की गईं तमाम प्रार्थनाएं और उपाख्यान निर्वासित रेगिस्तान की मरिचिकाएँ सुनेंगी।
और सुनेंगी मरे हुए घोड़ों और ऊँटों की हड्डियाँ,
जिनके सवारों को नामोनिशान मिटा दिए गए पगडंडियों के नीचे दफ़्न कर दिया गया है।
०००
यफ़ा में इब्राहिम अबू लुघोद और भाई
दोनो नंगे पैर,
समुद्र की ओर जाते हैं,
अपनी कोमल तर्जनी से इब्राहिम
एक नक्शा बनाना आरम्भ करता है,
उस घर का शायद,
जो कभी उन लोगों का हुआ करता था।
"नहीं, इब्राहिम!
रसोई आगे थोड़ी दूर पर उत्तर की ओर था।
अरे, वहाँ कदम मत रखो,
पिताजी वहाँ सोफे पर सो रहे थे।"
उधर घूमने आने वाले बच्चे
दौड़ते हुए पतंग उड़ाते थे।
बादलों से ढके समुद्र तट पर लहरे टकराती हैं।
पहाड़ की चोटी पर मस्जिद
नमाज़ के लिए आवाज़ देता है।
इब्राहिम और उसका भाई अब भी बहस कर रहे हैं कि उनकी रसोई कहाँ थी।
वे दोनो रेत पर बैठ जाते हैं।
इब्राहिम एक लाइटर निकलता है, सोचता है कि
काश वह समुद्र तट पर मौजूद सभी लोगों के लिए अपनी रसोई में चाय बना पाता।
इब्राहिम ऊपर की ओर देखता है जहां कभी उनकी रसोई की खिड़की हुआ करती थी।
पुदीना अब और नहीं उगता।
०००
सभी तस्वीर:- गूगल से साभार
अंग्रेजी भाषा से अनुवाद : भास्कर
युद्ध की विभीषिका का मार्मिक वर्णन
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