चमगादड़
बुद्धि लाल पाल
राजा नंगा ही नहीं होता
जनता के सिर पर
पेशाब करता हुआ भी होता है
नंगा अभद्र कूद कूदकर
अपना लिंग दिखाता
उसी की पूजा करवाता हुआ
जनता पर शासन करता
जनता के दिल में रहता
जनता की दहशत में होता
सिर पर चमगादड़ ताज
जनता का रक्षक दाता
खुदा ईश्वर हो पुजवाता
कभी किसी गुफा में
कभी किसी,समुद्र,मठ
मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारा में
ध्यान लगाकर बैठता
०००
चित्र निज़ार अल बद्र
कब्जा
स्त्री बहुत सदियों से
मनुष्य श्रेणी में होना चाही
उसे नहीं होने दिया गया
नहीं माना गया मनुष्य
कि उसमें भी
होती है स्वतंत्र चेता
कि उसके भी होते हैं सपने
उसकी भी होती है इच्छाएं
उसकी चेता को सपनों को
नकारा गया,की गई अनदेखी
न न विध से पालतू बनाया गया
कब्जा किया गया उसकी सांसों पर
पिछलग्गू बनाया गया पुरुषों के
आश्रित बनाया गया पशु की तरह
इतिहास में, वर्तमान में
युद्ध का खेत ही बनाई गई
वपरा गया उसे पशु की ही तरह
रखी गई मर्दों की संपत्ति जागीर के रूप में
०००
कविता के लिए
कविता क्यों
लिखते हैं लोग।
खुद के लिए।
खुद को महान
बताने के लिए।
दुनियां को भक्त
बनाने के लिए।
कुर्सी के लिए।
सम्मान के लिए।
लाभ में व्यवस्था में
हिस्सेदारी के लिए।
किसी को पढ़वाकर
यही करने के लिए।
कविता के लिए
कितने लोग कविता लिखते हैं ?
०००
कवि
बुद्धिलाल पाल , MIG -562 , न्यू बोरसी , दुर्ग ( छ.ग.)
पिन 491001 माेबा 78695 02334 ,9425568322
बहुत उम्दा कवितायें
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार 👌💖
जवाब देंहटाएंउम्दा
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा रचनाएं💐
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